Apr 23, 2025
राजस्थान का भरतपुर जिला न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कई महत्वपूर्ण नदियों का संगम भी है। राजस्थान जैसे शुष्क राज्य में जहाँ पानी की उपलब्धता एक चुनौती है, वहां भरतपुर की नदियाँ जैसे गम्भीर, बनगंगा, काकुंड, चंबल, रूपारेल और परवती यहाँ के जीवन और कृषि की धड़कन हैं।
इस ब्लॉग में हम इन नदियों का भौगोलिक, ऐतिहासिक और पर्यावरणीय महत्व विस्तार से समझेंगे।
गम्भीर नदी को कभी-कभी उटंगन नदी भी कहा जाता है। यह नदी करौली जिले की पहाड़ियों से निकलती है और हिण्डौन, भरतपुर, और धौलपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में यमुना नदी में मिल जाती है।
यह नदी केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (भरतपुर) को जल आपूर्ति करती है।
यह मौसमी (Ephemeral) नदी है जो मानसून पर निर्भर करती है।
इसके प्रवाह में आने वाले जलस्रोतों में काकुंड नदी भी शामिल है।
बणगंगा नदी का उद्गम जयपुर के बैराठ की पहाड़ियों से होता है। यह नदी सवाई माधोपुर और भरतपुर जिलों से होकर बहती है और अंततः यमुना नदी से मिलती है।
यह नदी गम्भीर नदी की सहायक नदी बनती है।
जलप्रदाय और सिंचाई के लिए उपयोगी है।
उद्गम स्थल: करौली जिले की पहाड़ियाँ
समापन: गम्भीर नदी में मिलती है
महत्वपूर्ण बांध: बान्ध बरेठा (Bandh Baretha)
इसका निर्माण 1866 में प्रारंभ होकर 1897 में पूरा हुआ।
यह भरतपुर जिले की पीने के पानी की मुख्य स्रोत है।
सिंचाई और पक्षी अवलोकन के लिए महत्वपूर्ण किशन सागर झील भी इसी पर बनी है।
इसे चमरावती या कामधेनु के नाम से भी जाना जाता था।
राजस्थान की एकमात्र बारहमासी नदी (Perennial River)
उद्गम: माणपुरा, मध्यप्रदेश (विंध्याचल पर्वत श्रेणी)
प्रमुख बांध: गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, कोटा बैराज
सिंचाई और विद्युत उत्पादन का प्रमुख स्रोत
राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी प्रवाहित
उद्गम: अलवर जिले की पहाड़ियाँ
प्रवाह: कामां तहसील (भरतपुर) से प्रवेश करती है
यह नदी सीमावर्ती क्षेत्रों में जलसंकट से राहत देने में सहायक है।
यह नदी मध्यप्रदेश के विंध्याचल की उत्तरी ढलानों से निकलती है।
भरतपुर में प्रवेश कर यमुना से मिलती है।
यह नदी कृषि भूमि की सिंचाई और जल पुनर्भरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
केवलादेव पक्षी विहार को जल आपूर्ति
मौसमी झीलों और जलाशयों का निर्माण
जैव विविधता को समर्थन
बंध भरथा और किशन सागर जैसे जलाशय पर्यटन का केंद्र
कृषकों के लिए जीवनदायिनी
अनेक धार्मिक स्थल नदियों के किनारे स्थित